UPSC Lateral Entry Controversy: मोदी सरकार ने 45 पदों पर लेटरल एंट्री से भर्ती का विज्ञापन रद्द कर दिया है। विपक्ष ने इस भर्ती को आरक्षण को समाप्त करने की कोशिश बताया। मोदी सरकार ने इसके बाद यह निर्णय लिया है।
UPSC Lateral Entry Controversy
मोदी सरकार ने 45 पदों पर लेटरल एंट्री से भर्ती का विज्ञापन रद्द कर दिया है। विपक्ष ने इस भर्ती को आरक्षण को समाप्त करने की कोशिश बताया। मोदी सरकार ने इसके बाद ही यह निर्णय लिया है। धर्मशास्त्र विभाग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी की अध्यक्ष प्रीति सुदन को पत्र लिखकर इस भर्ती को रद्द करने की मांग की है। जितेंद्र सिंह ने इस पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि संविधान में समानता के अधिकार के तहत ही लिखित आवेदन वाली भर्ती भी होनी चाहिए। विशेष रूप से देश में आरक्षण को नष्ट नहीं करना चाहिए।
उनका कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी को सार्वजनिक नौकरियों में सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता होनी चाहिए। आरक्षण का उद्देश्य इतिहास में हुए अन्याय को दूर करना है और समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा देना है। केंद्रीय मंत्री ने पत्र में यह भी कहा कि लेटरल एंट्री वाले पदों को विशेषज्ञता माना जाता है। अब तक, ये एकमात्र काडर पोस्टों में आरक्षण नहीं था। इसलिए इसका विश्लेषण किया जाना चाहिए और फिर सुधार किया जाए। मैं यूपीएससी को 17 अगस्त को जारी लेटरल एंट्री वाले विज्ञापन को रद्द करने को कहूंगा। सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण के लिहाज से ऐसा करना अच्छा होगा।
BREAKING : Govt withdraws #LateralEntry offer. Union Minister Jitendra Singh @DrJitendraSingh writes to Chairman UPSC asking her to cancel the Lateral Entry advertisement as per directions of PM Modi. pic.twitter.com/N1LfCUn39y
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) August 20, 2024
मंत्री ने कहा – यूपीए सरकार ने ही लेटरल एंट्री का प्रस्ताव लाया था।
केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में विपक्ष पर भी हमला बोला और कहा कि 2005 में यूपीए सरकार में लेटरल एंट्री का विचार ही आया था। जितेंद्र सिंह ने एक पत्र में लिखा, ‘यह सभी जानते हैं कि 2005 में सैद्धांतिक तौर पर लेटरल एंट्री का प्रस्ताव आया था। ऐसी सिफारिशें तब वीरप्पा मोइली के नेतृत्व में एक प्रशासनिक सुधार आयोग में की गईं। 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों ने भी इसी दिशा में काम किया। लेटरल एंट्री के पहले और बाद में भी कई मामले सामने आए थे।’
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सोनिया की सलाहकार परिषद पर भी प्रश्न उठाया गया
उनके उदाहरणों में यूपीए सरकार के राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में शामिल लोग भी शामिल थे। 2014 से पहले, उन्हें लेटरल एंट्री दी जाती थी। वहीं, हमारी सरकार ने इसे पारदर्शी और संस्थागत ढंग से करने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि यूपीए सरकार में सलाहकार परिषद की मुखिया खुद सोनिया गांधी थीं, जिसमें हर्ष मंदर और फराह नकवी भी शामिल थे।
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