CBSE Take Action On Many Schools of Ranchi डमी नामांकन के खिलाफ सीबीएसई ने दो दिन पहले 21 स्कूलों की संबद्धता रद्द कर दी। बोर्ड की इस कार्रवाई से रांची में भी कई स्कूलों को खतरा हुआ है। आइए जानते हैं क्यों।
CBSE Take Action On Many Schools of Ranchi
पिछले वर्ष राज्य के 10 स्कूलों की मान्यता रद्द
यह पहली बार नहीं है कि सीबीएसई स्कूलों में प्रवेश करता है। झारखंड में 2023 में 10 स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी गई थी। इन स्कूलों पर बोर्ड के नियमों का पालन नहीं करने का आरोप सही निकला। अब, सीबीएसई की लगातार कार्रवाई के चलते, डमी विद्यार्थियों का नामांकन लेने वाले स्कूलों के पास अधिक समस्याएं होने वाली हैं।
नामांकन के लिए अधिक धन खर्च करें
रांची की राजधानी में बहुत से सीबीएसई स्कूल हैं जो डमी विद्यार्थियों को स्वीकार करते हैं। नॉन स्कूलिंग करने के लिए भी वे फीस से अधिक पैसे मांगते हैं। शहर के मध्यमवर्गीय स्कूलों में नामांकन कराने के लिए अधिक धन खर्च करने वाले विद्यार्थी और उनके अभिभावक हैं, जो मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करना चाहते हैं।
इस तरह होता है खेल
11वीं में दाखिला लेने के बाद ये विद्यार्थी दूसरे राज्यों में रहते हैं और आगे की तैयारी करते हैं। शहर के एक स्कूल में दो साल पहले आईआईटी टॉपर को लेकर भी बहस हुई थी।
- नामांकित विद्यार्थी दूसरे राज्य में उच्च शिक्षा की तैयारी करेंगे
- नॉन स्कूलिंग को लेकर स्कूलों के सामने अब अधिक चुनौती होगी
- नियमित क्लास नहीं आने वालों को बोर्ड ने चेतावनी दी है
- इंजीनियरिंग-मेडिकल परीक्षा में सफल छात्रों को रांची में नामांकित किया गया
- गैर-शिक्षा का प्रस्ताव स्वीकार करना ही गलत है
अभिभावक देते है कोचिंग संस्थानों को अधिक प्राथमिकता
स्कूल से अधिक कोचिंग संस्थानों को अभिभावक अपने बच्चों को मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए देते हैं। स्कूलों और कोचिंग संस्थानों भी इसमें शामिल हैं। वे हाई पैकेज में तैयारी के लिए नामांकन लेने के एवज में छोटे स्कूलों में नामांकन करने की भी सलाह देते हैं। वे खुद स्कूलों में जाते हैं, विद्यार्थियों का नामांकन कराते हैं और विद्यार्थियों को स्कूल से छुट्टी दिलाते हैं।
नॉन स्कूलिंग का प्रस्ताव स्वीकारना गलत: प्राचार्या
गुरुनानक स्कूल की प्राचार्या डॉ. कैप्टन सुमित कौर ने कहा कि बच्चों और अभिभावकों के मन से गैर-शिक्षा का विचार हटाना चाहिए। क्लास आठ में भी अभिभावक गैर-शिक्षा नामांकन के लिए आते हैं। गैर-शिक्षा की पेशकश को स्वीकार करना गलत है। कहा कि कोचिंग सेंटर सिर्फ 11वीं और 12वीं क्लास के बच्चों को नहीं, छठी क्लास के बच्चों को भी बर्बाद कर रहे हैं। कई स्कूल इन नियमों को नहीं मानते, लेकिन डमी नामांकन नहीं लेने से कई सीटें खाली रहती हैं। बच्चों के लिए भी खतरनाक है। मेडिकल इंजीनियरिंग एकमात्र करियर नहीं है। हमें बच्चों को यह बताना चाहिए।
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