भारत के ISRO Chief Chandrayaan 4 Space Mission का धांसू प्लान सुनकर पूरी दुनिया में खलबली मच गई और वह प्लान यह है कि चंद्रन 4 के हिस्से एक लॉन्च में नहीं बल्कि दो-दो लॉन्चिंग में अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे और फिर उन हिस्सों को बाद में अंतरिक्ष में जोड़ा जाएगा तो अगर ऐसा हुआ तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा और चांद पर उतरने से पहले इतिहास रच देगा अब ऐसा इसलिए किया जा रहा है की चंद्रयान वहन क्षमता इसरो के वर्तमान में सबसे शक्तिशाली रॉकेट की क्षमता से भी अधिक होने वाली है इस मिशन की खास बात यह है।
चंद्रयान 4 के पार्ट्स को कौन बना रहा है?
रॉकेट की क्षमता से भी अधिक होने वाली है इस मिशन की खास बात यह है कि लैंडर इसरो तैयार कर रहा है और रोवर मॉड्यूल जापान बना रहा है। इसरो और जापान के JASKA का संयुक्त मिशन है इस मिशन को 2026 तक एग्जाम देने की तैयारी है और अगर चांद पर उतरने का यह मिशन सफल हो जाता है तो दुनिया में ऐसा करने वाला चीन के बाद भारत दूसरा देश बन जाएगा चांद से नमूने लेकर आना है पर आपको क्या लगता है कि क्या इसरो इस काम में सफल हो पाएगा कमेंट सेक्शन में जरूर लिखिएगा।
ISRO Chief Chandrayaan 4 Space Mission Date
साल 2028 तक इस मिशन को लॉन्च किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। चंद्रयान के चंद्रयान-कर के पायलट को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए दो अलग-अलग रॉकेट एवीएम 3 और पीएसएलवी का उपयोग किया जाएगा साथ ही इस यान में पांच अंतरिक्ष मॉड्यूल प्रधान माड्यूल अवरोही मॉड्यूल आरोही मोती स्थानांतरण मॉड्यूल और पुण: प्रवेश मॉडल शामिल होंगे इस मिशन को चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी रिबूट को पृथ्वी पर वापस लाने के लिए डिजाइन किया गया है चंद्रयान-कर के सफल क्रियान्वयन से भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिन्होंने चांद की सतह से नमूने वापस लाने की क्षमता हासिल कर ली है।
किस तरीके से काम करेगा चन्द्रयान 4 का मिशन
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन एस को भी अनेक प्रश्नों के माध्यम से विभिन्न भागों को ले जाकर अंतरिक्ष में स्थापित किया जाएगा इसके पहले खंड को एवीएम 3 रॉकेट से जबकि बाद के मॉड्यूल को या तो lvm3 या नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल एनजीएलवी द्वारा भेजा जाएगा दरअसल lvm3 भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल है जबकि NGLV अभी अविकसित अवस्था में है।
इसरो के भविष्य के मिशन
डेली करेंट न्यूज़ में अभी की खबर है अंतरिक्ष में असेंबल होगी चंद्रयान 4 के पार्ट्स हालिया खबरों के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अपने अगले चंद्र मिशन चंद्रयान-कर को शुरू करने की तैयारी कर रही है।
इसरो प्रमुख S. Somnath के अनुसार चंद्रयान 4 को एक बार में प्रक्षेपित करने की बजाय इसके विभिन्न भागों को दो प्रक्षेपण के माध्यम से कक्षा में भेजा जाएगा एशियाई को चंद्रमा पर जाने से पहले अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा।
गोतरलाब है कि चंद्रयान-कर कि वहां क्षमता अधिक होने के कारण इसरो के वर्तमान रॉकेट इसे एक बार में प्रक्षेपित करने के सक्षम नहीं है समझौता यह पहली बार होगा जब चंद्रमा की और आगे की यात्रा के लिए किसी यह को पृथ्वी की कक्षा में मॉड्यूल डॉकिंग किया जाएगा बता दें कि आप इसरो ने अंतरिक्ष में कोई भी डॉकिंग ऑपरेशन नहीं किया है इस क्षमता को विकसित करने के लिए इस साल इसरो द्वारा स्पीडेक्स स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन लॉन्च किया जाएगा उल्लेखनीय है कि भारत की 2035 तक अपना खुद का आंतरिक स्टेशन बनाने और 2040 तक चंद्रमा पर मनुष्य को भेजने की योजना है।
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