Jharkhand State Elections 2024 झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। इस बार कई प्रमुख नेता अपने परिवार के सदस्यों जैसे बेटे, बेटी, पत्नी को टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।
झारखंड राज्य चुनाव 2024
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। इस बार कई प्रमुख नेता अपने परिवार के सदस्यों जैसे बेटे, बेटी, पत्नी को टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इनमें चम्पई सोरेन, सत्यानंद भोक्ता, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह, जदयू प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो, रामेश्वर उरांव, सीता सोरेन, स्टीफन मरांडी, रामचंद्र चंद्रवंशी, उमाशंकर अकेला, कमलेश सिंह आदि शामिल हैं।
रांची, झारखंड विधानसभा चुनाव के संदर्भ में नेताजी अपनी दावेदारी और जुगाड़ में व्यस्त हैं, जबकि कई अन्य नेता अपने बेटे, बेटी, पत्नी या परिवार के अन्य सदस्यों को टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें से कुछ नेता ऐसे भी हैं, जिनकी उम्र काफी बढ़ चुकी है।
कुछ लोग अपने बेटे या बेटी को अपनी राजनीतिक धरोहर सौंपने की इच्छा रखते हैं। यदि ये सभी अपने प्रयास में सफल होते हैं, तो इस बार के विधानसभा चुनाव में लगभग एक दर्जन नई चेहरे चुनावी मैदान में नजर आएंगे।
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किन्के नाम है लिस्ट में
नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन शामिल हैं, जो अपने बड़े बेटे बाबूलाल सोरेन को विधानसभा चुनाव में उतारने की योजना बना रहे हैं। राजद नेता और मंत्री सत्यानंद भोक्ता अपनी बहू रेशमी को चतरा से चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं। उनकी बहू चतरा में संभावित प्रत्याशी के रूप में विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।
चतरा सीट वास्तव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जबकि भोक्ता जाति अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल हो गई है। इस स्थिति में सत्यानंद भोक्ता वहां से चुनाव नहीं लड़ सकते। झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी अपने बेटे दिलीप सिंह नामधारी को विधायक बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। पहले उनके बेटे ने निर्दलीय चुनाव भी लड़ा था, लेकिन वह सफल नहीं हो सके।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद खीरू महतो अपने बेटे दुष्यंत पटेल को मांडू से चुनावी मैदान में उतारने की योजना बना रहे हैं। यह चर्चा है कि अपने बच्चों को टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत नेताओं में रामेश्वर उरांव (पुत्र रोहित उरांव), सीता सोरेन (पुत्री जयश्री सोरेन), स्टीफन मरांडी (पुत्री उपासना मरांडी), रामचंद्र चंद्रवंशी (पुत्र ईश्वर सागर चंद्रवंशी), उमाशंकर अकेला (पुत्र रविशंकर अकेला), कमलेश सिंह (पुत्र सूर्या सिंह) जैसे नेता भी शामिल हैं।
छोड़ना नहीं चाहते अपनी सीट
झारखंड में कई ऐसे मामले हैं, जब सांसद बनने के बाद किसी ने अपने विधानसभा क्षेत्र से अपने बेटे, बेटी या पत्नी को विधानसभा चुनाव में उतारने की कोशिश की। रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से लगातार जीत हासिल करने वाले आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी ने 2019 में गिरिडीह संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव में सफलता प्राप्त की।
उन्होंने उसी वर्ष के विधानसभा चुनाव में अपनी पत्नी सुनीता चौधरी को टिकट दिलवाया। हालांकि, चंद्रप्रकाश को उस सीट पर हार का सामना करना पड़ा। बाद में हुए उपचुनाव में सुनीता चौधरी ने जीत हासिल की। इस बार भी सुनीता चौधरी का चुनाव लड़ना निश्चित है। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में दुमका और बरहेट दोनों सीटों पर जीतने के बाद, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका सीट को खाली करने का निर्णय लिया और अपने भाई बसंत सोरेन को उपचुनाव में उतारा। उन्हें भी जीत मिली।
इस समय यह बात सामने आ रही है कि इस वर्ष लोहरदगा संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव जीतने वाले सुखदेव भगत अपनी पत्नी या बेटे को लोहरदगा से टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, धनबाद से लोकसभा चुनाव जीतने वाले ढुलू महतो भी अपनी बाघमारा विधानसभा सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं और वे अपनी पत्नी को टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।
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